सब्र कहाँ मुझसे होता है
कभी चैन से कब सोता है
शूल किसी को जो बोता है
लिखी भाग्य मजदूरी जिसके
आज जिंदगी बस ढोता है
जैसा बोलो वैसा बोले
नहीं आदमी वह तोता है
जले किसी को सुखी देखकर
जीवन भर ही वह रोता है
काला धन जो घर में लाता
नींद चैन सब कुछ खोता है
दिल जो कहता लिख देता हूँ
सब्र कहाँ मुझसे होता है