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17 Oct 2021 · 2 min read

सब्जीवाली औरत

——————–
झेल रही है वह सब्जी की दुकान
बिना चहारदीवारी और छत के।
सह रही है आलू,प्याज और
अपनी ताजगी खोती हुई
दूसरी सब्जियों के गंध।

करती है महसूस
सब्जियों के भाव में
टुच्चे ग्राहकों द्वारा
उसके जिस्म का
उझाला गया भाव।

सब्जीवाली औरत युवा है।
और सब सह लेगी वह
तत्पर है सहने को।
वे सारे विस्तार जो
जो उसके मन,तन,आकार
और स्परूप को शुन्य कर दे।
किन्तु, उसके अस्तित्व को
शुन्य कर देने वाला
कोई मूल्य नहीं।
कोई शब्द नहीं।
बाट उठा लेती है वह।
बगल वाली दुकान की
वह बुजुर्ग महिला
संभालती है उसे।
समझती है-
“कानों को बहरा कर ले,रूपमती!
उन शब्दों के लिए
जो तुम्हारे काम के नहीं हैं।
बाट,तनोगी किसके उपर?
बाट जोहती दो जोड़ी
निर्दोष,मासूम शैशव आँखों के उपर!
या
बीमार आँखों में समाये हुए
ग्लानि और झुंझलाहट से भरे
आँखों के उपर!
जो
चौबीस घंटे में दो सौ चालीस बार
मांग रहा होगा मौत।
कहते हुए कि हे ईश्वर,
मुझे इस उहापोह से मुक्त करो।
जिसका हाथ
दिल की गहराइयों से थामा था।
उसे कभी न जीतनेवाले
रण में भेजकर
दु:खी हुए इन्सान की विवशताओं पर
तरस खाओ,सौन्दर्यशालिनी।”
बूढी फेफड़े को नियंत्रित करने के लिए
वह रुकी।
“युग का सत्य यही है बेटी।
दर-भाव,मोल-तोल अंक-मूल्य।
जीव रचना से पहले
सृष्टि के उस ईश्वर ने भूख रचा है।
इसके आयाम बदलते हों
किन्तु,यह आदिम और
मूल सत्य है सृष्टि का।
आओ
मैं बताती हूँ,
अपने को बेचने के भाव में
कैसे खरीदोगी,खरीददार को ही।
स्यार की चालाकी से
अपने सोच भर ले ऐ मृगनयनी!
आंचल के नीचे अमृत का अजस्र धार
धारण करनेवाली हे आदि नार,
विषकन्या के फुंफकार ले भर फूंक में।

जीने के लिए
दो वक्त की रोटी ही नहीं
कवच भी चाहिए।
जिम्मेवारियों की परिभाषाएं
हो गई है गलत।
जिम्मेवार वह नहीं जो इसे निभाए।
वे हो गये हैं जो
इसका भरम फैलाये।
इस भ्रम में सामन्तवाद की क्षुदा है।
शोषण,दोहन का कठोर सत्य है।
वह रुकी ।
इत्मीनान की एक लम्बी साँस लिया।
फिर बोलो।
“दुकान सजेगा।
प्याज के गंध को मोगरे,रजनीगन्धा में
दे बदल – कोयल सी आवाज में।
बन कोयल।
कौए की चालाकी धर
उसके ही घोंसले मे कर परवरिश।
पुआल के छत को तरसती
तेरी यह दुकान
आलीशान छत के नीचे चमकेगा।
बस भाव अपना करना
पर,बेचना आलू और प्याज के
दुर्गन्ध।
ये बस इसी के काबिल हैं।
खरीदने निकले नहीं हैं सुगंध।
बस अपना तन और अपना मन
परिणय के पवित्र अग्नि की गोद में
अमानत रख आना,सुहागिनी।”
———————————-

Language: Hindi
323 Views
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