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7 Apr 2022 · 1 min read

सबको बच्चे सा सता रहा हूं।

अभी तो गया था अस्पताल से फिर आ गया हूं।
क्या बताऊं हाल ए जिन्दगी जीकर पछता रहा हूं।।1।।

बड़ा परेशान हो गया हूं आई इन बीमारियों से।
कुछ कर ना पाया ज़िन्दगी में जीता मरता रहा हूं।।2।।

सोचता हूं बेकार ही,मैं यह जिंदगी जी रहा हूं।
बार बार बीमार होकर मैं अपनों को ऊबा रहा हूं।।3।।

कोई कब तक यूं बच्चों सा मेरा ख्याल रखेगा।
इक उम्र हो गई हैं सबको मैं बच्चे सा सता रहा हूं।।4।।

दुआयें बेअसर है दवाओं से रिश्ता हो गया है।
इक इक करके ख्वाहिशों से मैं पीछा छुड़ा रहा हूं।।5।।

बे वक्त कुछ भी आता नही पढ़ा था मैंने कहीं।
दिल हैंअब तुर्बत में जाने का पर ना जा पा रहा हूं।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

1 Like · 2 Comments · 117 Views
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