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4 Aug 2023 · 1 min read

झूठे और मक्कारों को तो बेनकाब होना था

दोस्तों,
एक ताजा ग़ज़ल आपकी मुहब्बतों के हवाले,,,!!!

ग़ज़ल
====

झूठे और मक्कारों को तो बेनकाब होना था,
आज नही तो कल उदय आफ़ताब होना था।
===========================

अंधेरा कब तलक सच दबा के रखता दोस्त,
बर्फ कब तक जमीं रहे,उसे तो आब होना था
===========================

सच परेशां हो सकता है मगर मर नही सकता
रक़ीब के हर सवाल का, उसे जवाब होना था
============================

दुश्मन की चालो का अंदाज़ नही था उस को,
मगर हां सच का समय थोड़ा खराब होना था
===========================

घेर लिया था चारों ओर बच कर कहीं न जाऐ,
आखिर सच की झोली में ये ख़िताब होना था
============================

कोई न काबिल था इस जंग-ए-मैदां में “जैदि”,
कैसे हार जाता वो उसे तो लाजवाब होना था
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शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”

Language: Hindi
148 Views
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