सबके राम
मर्यादा के पुरुषोत्तम हो तुम
सदियो से दिल राज हो तुम
जीवन मनुष्य जीने का
इकलौता आधार हो तुम
हर पल जीवन का तुमरा
आदर्श बनी है अद्भुत गाथा
तप जप पग पग पूरा जीवन
मोह माया से पार लगाता
राजवंश के राजकुवंर तुम
अह किंचित भी ठहर ना सका
वंचित भी निकट सभी थे
सबका तुमने आलिंगन किया
बडके सबसे बडे भाऊ तुम
बडप्पन भार ना कभी दिखा
समान भाव, समान दृष्टि ने
हर प्राणीमात्र का चित् है हरा
कृपानिधान यह नाम सदा से
कृपा दृष्टि बरसाता जाए
मन दुख हरे, मिटे सब पीडा
सीया राम जो मन प्राण बसाए