सबका ही उद्धार होगा !
सबका ही उद्धार होगा !
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मैं तो सदा सबकी भलाई ही चाहता !
नहीं कभी किसी की उम्मीद हूॅं तोड़ता !
किसी के सफ़र का साथी ही बन जाता !
सर्वस्व त्याग कर मदद का हाथ बढ़ाता !!
पर ज़माना ऐसा है कि उसे पता तक नहीं !
कि कोई उसके लिए कर रहा कितना सही !
सही – ग़लत का भेद तक उसे मालूम नहीं !
हर वक्त भ्रम के साये में ही खोया रहता कहीं !!
जब मन साफ़ हो तभी उसे कुछ सच दिखाई दे!
राह में चल रहे राही की कोई आवाज़ सुनाई दे !
पर मन गर मलीन हो तो सच भी झूठ दिखाई दे !
सफर का हर रास्ता ही दृष्टि से ओझल दिखाई दे !!
पहले ज़िंदगी जीने का एक ख़ास पैमाना बना लें!
उस पैमाने पर सबसे ही एक जैसा सुलूक करें !
ऊंच-नीच, जात-पात का भेदभाव तुरंत दूर करें !
ईश्वर से सबके ही भले के लिए सदैव प्रार्थना करें !!
आओ रामराज्य की दिशा में कुछ कदम बढ़ा लें!
कोई भी इस जहाॅं में भूखा-नंगा कदापि ना रहे !
सबके ही चेहरे पे खुशियों की बौछार होती रहे !
हर शख़्स सत्य के साथ गौरवान्वित महसूस करे !!
सभी खुश रहेंगे तभी सत्य का सही आभास होगा !
खुशियाॅं चहुॅंओर दिखेंगी,ना कभी कोई उदास होगा!
सभी सबके लिए जियेंगे, सिर्फ़ अपना स्वार्थ न होगा !
कोई भूख-प्यास से न तड़पेगा,सबका ही उद्धार होगा!!
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 18 सितंबर, 2021.
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