सफेद हो गया लहू
*** सफेद हो गया लहू ***
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सफेद हो गया तन का लहू,
हाल ए दिल बयां कैसे कहूँ।
हो गया है दामन दाग दाग,
कैसे मन पर अवसाद सहूँ।
मन पर हो गया बोझ भारी,
भार का अवमान कैसे करूँ।
जिन्दगी की हर दफा बुरी,
जफ़ा का अपमान कैसे सहूँ।
लोग करते रहते कारशैतानी,
जन का व्यभिचार कैसे सहूँ।
आज़ाद परिंदे ही रहते खुश,
कैद से मैं निजात कैसे करूँ।
मनसीरत की सुन लो पुकार,
बिन दर्द आवाज़ कैसे करूँ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)