सफेद तंबू
किसी घर में जब सफेद तंबू तना होता है ,
मृत्यु का साया सा उस घर में पड़ा लगता है ।
बड़ी पीड़ा सी महसूस होती है उनके लिए ,
जिन्होंने अपने प्यारे को खोया होता है ।
यूं तो सफेद रंग शांति का प्रतीक होता है ,
मगर यह सफेद रंग मातम को दर्शाता है ।
ना जाने इस घर ने क्या खोया होगा अभी ,
कोई माता,पत्नी ,पति या संतान या पिता है ।
जो भी था वो ,जिससे जो भी रिश्ता था ,
अपने जीवन का हिस्सा ही खोता है ।
एकाएक छोड़ के चला गया कोई निर्मोही ,
इस भवसागर में यूं कोई छोड़ के जाता है ?
अपनी अपनी जीवन धारा में बह रहे होते है,
ठगे से रह जाते हैं तब जब कोई अलग होता है ।
सजल नेत्रों से ,गम से भरे दिल से जाने कैसे! ,
उनकी अंतिम यात्रा का प्रबंध किया जाता है ।
फिर जीवन की अंतिम रस्म निभाई जाती है ,
और वो शख्स शव के रूप में घर से जाता है ।
शव को अग्नि को समर्पित कर जब लौट आते है ,
तब मृत्यु भोज का आयोजन होने लगता है ।
मृत्यु भोज का आनंद उठाएं सारे अतिथि गण और , प्रियजनों के गले से एक ग्रास भी नहीं उतरता है ।
मृत्यु भोज ग्रहण करने के पश्चात सब चले जाते है ,
और आंगन से तंबू शामियाना उठा लिया जाता है ।
सफेद तंबू तो उठ जाता है घर के आंगन से मगर,
एक निर्वरता एक सूनापन सा पसर जाता है ।
वास्तव में दिल को बहुत दर्द होता है मित्रों !
और अपनी पारी का भी ध्यान तब आता है जब ,
सफेद तंबू किसी घर के आंगन में ताना जाता है