सफलता
लक्ष्य का कांटा मन में चुभता है,
तब जाकर सफलता अपनी सुनता है।
चाहे बौछार हो जाए उपहास की,
नाकदरी हो जाए एहसास की,
ना कभी कड़ी टूटे अभ्यास की,
हिसाब रखा करो हर सांस की,
रहम का द्वार गिड़गिड़ाने से खुलता है,
तब जाकर सफलता अपनी सुनता है।
चुनौतियों से नहीं डरना है,
जबरदस्तऊंची उड़ान भरना है,
मेहनत दिन रात करना है,
चाहें जीना है या मरना है,
दिल और दिमाग दोनों दुखता है,
तब जाकर सफलता अपनी सुनता है।
नूर फातिमा खातून” नूरी”