जीतने की उम्मीद
सफलता की गतिपथ पर
मुसीबतें तो हजार आएगी
लड़ा जो इन फ़ज़ीहतों से
वही पाता अपनी मंजिल ।
संघर्ष में मानुज होता पृथक
जय में दुनिया होती है साथ
जिस जिस पर ये भव हँसा
उसी उसी ने इति रचा अपनी ।
मनुषों को भी मंजिल मिलेगी
यकीन उनको है विश्वास यहां
अक्सर वो लोग रहते है मौन
हयात में जिनके कला बोलते ।
जो मनुष्य होते क्लांति, रियाज़ती
वह कभी किस्मत की वार्ता करते न
किसी के रु की सिधाई पर मत जाना
राख के नीचे बहुधा आग दबे हुए होते ।
सफलता की तरकश में हमेशा ही ही
कोशिश की वान को हमेशा जिंदा रखो
चाहे जिंदगी में हार जाओ सब कुछ
फिर भी जीतने की उम्मीद जिंदा रखो ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय बिहार