सफलता की आस
सफलता की आस लिये असफलता से मत घबराओ
गिर गये गर उन ऊंचाइयों से , तो बार – बार उसको तुम दोहराओ
सफलता की आस लिये असफलता से मत घबराओ।
न समझो खुद को कमजोर इतना,
एक बार फिर कोशिश को तुम दोहराओ
सफलता की आस लिये असफलता से मत घबराओ।
लाख डरवाये लोग मगर तुम कभी न घबराओ
आये जब भी मुसीबतों का पहाड़ तुम पर ,
तब – तब निडर बनते तुम जाओ
सफलता की आस लिये असफलता से मत घबराओ।
झुकाने की कोशिश करेगी जहान की सारी बातें तुमको,
ऐसा जब भी लगने लगे तब हौंसला और तुम बढ़ाओ
सफलता की आस लिये असफलता से मत घबराओ।
माना परेशानियां आयेगी जिन्दगी में ,
मगर अंधियारों में चलो तो प्रकाशित हो जाये
ऐसा चरित्र अपना तुम बनाओ
सफलता की आस लिये असफलता से मत घबराओ।
रखना गम में भी वही मुस्कुराता हुआ चेहरा ,
दुःख की दरिया में डूबे लोग तुम्हें , प्रेरणा जिन्दगी की माने
ऐसी उनकी नजरों में आदर्श तुम कहलाओ
सफलता की आस लिये असफलता से मत घबराओ।
सफलता की आस लिये असफलता से मत घबराओ।।
– प्रभा निराला