सफर…!
हम भी अभी किसी सफर में है
मंजिल पाने की मगर किसे चाह नहीं है,
पंझी सारे गुमान में है
इनमें भी मालुम नहीं इनका भी ये सारा आसमान नहीं है,
टूट जाओ कभी अगर तो आइना निहारों
ज्यादा कुछ अभी भी बदला नहीं है,
चेहरे पर बेशक उम्मीद नहीं
मगर हौसला आज भी वही है…!
~ गरिमा प्रसाद 🥀