सफर
चल रही थी यूँ जिंदगी
खूब सूरत सडकों पर
सुहाने रास्तों पर गुनगुनाती
भविष्य की चिंता से दूर
पर न जाने कहाँ से आया
एक जोर दार जलजला
यूँ अचानक ही कर गया
दरबदर और यतीम
आंसुओं से भर गयी जिंदगी
मायूसी की नहीं थी कमी
ऐसे लगा कि सर पर
था जिनका हाथ वो
यूँ ही बिना बोले कुछ कहे
अनजान सफर पर चले गए