सफर
विषय:सफर
ए जिंदगी
क्या करूँ शिकवा क्या करूँ शिकायत
तुझे जीते जीते तो प्रश्नों की बाढ़ हैं
मन मे घुमड़ते प्रश्नों का क्या जवाब हैं
लगता हैं तुझे ढोये चले जाना है
प्रश्नों का कोई हल न निकलना हैं
क्यो आये हम धरा पर
क्यो ओर कैसे जिए जा रहे है
कैसा ये सफर हैं जिसकी खबर
भी नही कि कब तक ओर कहाँ तक है
फिर भी कठपुतली सा सफर हैं
न जाने किसके हाथों डोर हैं मेरी
कब तक डोर पर नृत्य करना है
क्यो और कैसे..?
सफर कठिन है डगर खबर नही है
सफर हैं चले जाना है खबर नही है
क्यो आखिर क्यों
नही है जवाब मेरे पास
जीवन सफर का
क्यो आखिर क्यों..?
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद