सफर 👣जिंदगी का
एक सफर,
जनन से आमरण,
नासमझी से बौद्धिक बल,
सन्तान से अवबोध सफल,
हारे को उबारे तक,
एक सफर।
नादान – सहमा,
बाल-छात्र ,
किशोर, शोरबाज ,
उग्र मन गात्र,
अतिविश्वासी – अपराधी ,
मृदु हृदय पात्र,
एक सफर।
एक सफर।
कागज- कलम और बुद्धि के मेल से,
ग्रेजुएट-बेरोजगार और
कामकाजी हो,
रोजगार मिलने तक,
एक सफर।
भैया से पति – पिता,
मामा- मौसा, फूफा – चाचा ,
ससुर – समधी ,
दादा – नाना तक मांपा,
बदलता,
एक सफर।
जँवाई, जीजा से,
रिटायर्ड सेवादार तक का।
मुखिया घर का ,
ग्राम सभाओं में भी,
निर्णायक होने तक,
एक सफर।
कुछ पल चलकर,
साथ ,
किसी अनजान राह पर,
अनजान लोगों से मिलकर,
हिल – मिलकर,
एक दिन,
अचानक ,
फिर बिछुडना है।
एक सफर। ।
समाप्त ।।।