सपनों को सजाना क्या
सपनों को सजाना क्या,
जब वो सच नही होते
दिल को गम मे हसाना क्या
जब हम खुस नही होते ।
पर शौक है यों देखने के
नावक्त सपनों को
दुःख में न देखा जाए डूबे
हर वक्त अपनों को
जानते हुए कि ये है सब झूठे
फिर भी हौसले नही खोते ।
सपनों को सजाना क्या,
जब वो सच नही होते
दिल को गम मे हसाना क्या
जब हम खुस नही होते ।
पर शौक है यों देखने के
नावक्त सपनों को
दुःख में न देखा जाए डूबे
हर वक्त अपनों को
जानते हुए कि ये है सब झूठे
फिर भी हौसले नही खोते ।