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22 Feb 2024 · 1 min read

सन 1947 से पहले का दृश्य

समीर तेरे आने का
एक प्रभाव दिख गया ।
गरज रहे थे कृष्ण घन जो
श्वेत कमल सा खिल गया ।।1।।

अब बूंद भी बरसे तो
शांत चित्तमन सब हो गया ।
समीर तेरे आने से
आकाश नीला हो गया ।।2।।

उड़ रहे थे घन श्वेत–श्वेत
अब वसुधा निमंत्रण दे रही ।
बरसो धरा में अब तुम
श्वेत मोती बन कहीं ।।3।।

स्वागत में तेरी बांहे फैलाए
पुष्प पग–पग बिछ गया ।
समीर तेरे आने से
आकाश नीला हो गया ।।4।।

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