सन 1947 से पहले का दृश्य
समीर तेरे आने का
एक प्रभाव दिख गया ।
गरज रहे थे कृष्ण घन जो
श्वेत कमल सा खिल गया ।।1।।
अब बूंद भी बरसे तो
शांत चित्तमन सब हो गया ।
समीर तेरे आने से
आकाश नीला हो गया ।।2।।
उड़ रहे थे घन श्वेत–श्वेत
अब वसुधा निमंत्रण दे रही ।
बरसो धरा में अब तुम
श्वेत मोती बन कहीं ।।3।।
स्वागत में तेरी बांहे फैलाए
पुष्प पग–पग बिछ गया ।
समीर तेरे आने से
आकाश नीला हो गया ।।4।।