“सन्देशा भेजने हैं मुझे”
“सन्देशा भेजने हैं मुझे”
उन कंचों के नाम
जो पूरे पारदर्शी होने से
कुछ भी न छुपाते थे,
एक-दूसरे से टकराकर
खुदे हुए गड्ढे में घुस जाते थे।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“सन्देशा भेजने हैं मुझे”
उन कंचों के नाम
जो पूरे पारदर्शी होने से
कुछ भी न छुपाते थे,
एक-दूसरे से टकराकर
खुदे हुए गड्ढे में घुस जाते थे।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति