सदियों बाद
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सदियों बाद
मन ने एक बार फिर
उड़ान भरी
जा बैठा
प्रेम की ऊंची टहनी पर
बनाने लगा घोंसला
जुटाने लगा तिनका
जीवन की हर
कही अनकही कहानियों से
तभी ज्ञान के मेघों ने
अनुभव की अनगिनत
बूंदे बरसा दी
घोंसला अधूरा रह गया
मन फिर
अपने कोटर में दुबक गया|