सदा बढ़ता है,वह ‘नायक’ अमल बन ताज ठुकराता।
जो नर-मन खुशमिजाजी का सुघड़ अंदाज बन जाता।
उसी जीवन में आनंदी भरा गुणराज आ जाता।
न जाने आगे-पीछे का, निरंतर आज में रहकर।
सदा बढ़ता है वह ‘नायक’ अमल बन ताज ठुकराता।
पं बृजेश कुमार नायक
जो नर-मन खुशमिजाजी का सुघड़ अंदाज बन जाता।
उसी जीवन में आनंदी भरा गुणराज आ जाता।
न जाने आगे-पीछे का, निरंतर आज में रहकर।
सदा बढ़ता है वह ‘नायक’ अमल बन ताज ठुकराता।
पं बृजेश कुमार नायक