“सदाकत ए जहां”
कदर करने वालों की कदर नहीं होती,
खबर लेने वालों की ख़बर नहीं होती।
खरीदता है इंसान यहां मीलों जमीनें,
दो गज से ज्यादा उनकी भी क़बर नहीं होती।
कसूर महज होता है साफ़ दिल का यहां,
जो करते हैं सबकी इज्जत, उनकी मगर नहीं होती।
कदर करने वालो की …….
ओसमणी साहू ‘ओश’ रायपुर (छत्तीसगढ़)