सत सत नमन ए भारत देश महान
है वेदों की धरती अपनी
इतिहास बनाते आयी है
श्रीराम, महावीर,बुध्द से लेकर
मानवता का पाठ पढ़ाती आयी है..।
है तिरंगा झंडा इसका
हरा रंग धरा की भूख मिटाता है
सफेद रंग में पानी बसता
धरती को जीवन देता है..।
केशरिया है रंग बसंती
सूरज बन ब्रह्मांड में छाया रहता है
लहराता है जब मदमस्त तिरंगा
जीवन में आशा भरता रहता है..।
उपनिषदों का ज्ञान ये लेकर
इंसानियत का पाठ पढ़ाती आयी है
आत्मा से इंसान को जोड़कर
समाज के सारे भेद मिटाती आयी है..।
पीर की करुणामयी भाषा है इसकी
और नानक के सबदों का संचार
सूर, रहीम,तुलसी, जायसी,कबीर से
संस्कृति की रचना करते आयी है..।
है गगनचुम्बी मुकुट हिमालय
पैरों में हिन्द महासागर रत्नों का भंडार
अरुणाचल पर पहली किरण सूरज की
पश्चिम से समृद्ध व्यापार..।
सप्तसिंध से संचित ये धरती
यहाँ फसलें लहराती रहती है
गंगा, नर्मदा और काबेरी से
अमृत रस जल पाती रहती है..।
वीरों की धारा बहती यहाँ पर
ऋषि,महर्षियों की है तपोस्थली
देश के लिए जो फंदा चूमते
ऐसे सपूतों की है ये कर्मस्थली..।
है शरणस्थली बेगानो की
मानवता का खिलता बागवान
रंगबिरगे फूलों से महकता ये उपवन
सत-सत नमन तुझे ए भारत महान..।
प्रशांत सोलंकी
नई दिल्ली-07