“सत्य”
“सत्य”
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सत्य तो है सत्य पर जो
सत्य से घबराएगा
झूठ का उसको सहारा
आप ही मिल जाएगा
झूठ का लेकर सहारा
जग को दे देगा यकीन
अपनी अंतरआत्मा को
कैसे वह समझाएगा?
सत्य तो सबसे बड़ा
उससे बड़ा कोई नहीं
सत्य ही से विश्व है
झूठ से कुछ भी नहीं
झूठ इक सूखा विटप है
सत्य हरियाली नई
सत्य से सुंदर यहां
संसार में कोई नहीं
माना मैंने सत्य की
औषधि कड़वी बहुत
जो चखेगा स्वाद इसका
स्वस्थ वह हो जाएगा
सत्य पथ पर जो चला
कांटे भी समझो फूल हैं
झूठ के ऊंचे महल भी
लगते उसको धूल हैं
सत्य को जो पा गया
खुद में प्रभु को पाएगा
सत्य तो है सत्य पर जो
सत्य से घबराएगा
झूठ का उसको सहारा
आप ही मिल जाएगा
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डॉ. रीतेश कुमार खरे”सत्य”
बरुआ सागर, झांसी उत्तर प्रदेश