**सत्य**
🍁🍁🍁🍁१
सत्य हैं आत्मा,
सत्य हैं परमात्मा,
इसके आगे हैं न किसी का ब्रह्माण्ड।।
🍁🍁🍁🍁२
सत्य हैं दर्पण,
सत्य हैं परछाई,
इसके आगे हैं न किसी के व्यक्यितव की पहचान।।
🍁🍁🍁🍁३
सत्य हैं माया,
सत्य हैं काया,
इसके आगे हैं न किसी की छाया।।
🍁🍁🍁🍁४
सत्य हैं जीवन,
सत्य हैं मरण,
इसके आगे हैं न किसी का जहान।।
🍁🍁🍁🍁५
सत्य हैं मीरा,
सत्य हैं शबरी,
इसके आगे हैं न किसी की भक्ति का गुणगान।।
॥॰॰॰॰॰॰॥॰॰॰॰॰॰॰॥॰॰॰॰॰॰॥॰॰॰॰॰॥॰॰॰॰॰॥
प्रतियोगीता विषय – “सत्य की खोज”
स्वरचित कविता- डॉ. वैशाली वर्मा😇😇
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