सत्य संकल्प
यदि डूब रहा है सूर्य आज, कल पुनः उदित हो जायेगा
आशा का यह कंपित दीपक, कल ज्योति नयी पा जायेगा
कोई सागर, कोई पर्वत, बाधा बन सम्मुख ना होगा
भूधर भी देगा मार्ग, तेरे साहस को शीश नवायेगा
यदि सत्य प्रतिज्ञा है मन में, अपने पर है विश्वास अटल,
पथ स्वयं मार्गदर्शक बन कर, उस लक्ष्य तलक पहुंचायेगा
मानव की दृढ़ता के सम्मुख, देवों ने शीश झुकाया है,
सावित्री को यम ने उसका पति, जीवित कर लौटाया है,
यह सत्य धार दृढ़ निश्चय कर, निशदिन आगे बढ़ते जाओ,
कितने ही दुस्तर मार्ग मिलें, निर्भीक बने चढ़ते जाओ
संकल्प प्रचण्ड करो मन में, सत्पथ पर चलते जाना है…
यह धरा लांघ, गिरिवर चढ़ कर, सूरज से आँख मिलाना है।