*सत्य तोलना हो तो जगदीश तुम बनो*
सत्य तोलना हो तो जगदीश तुम बनो
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झूठा बोलना हो तो वकील तुम बनो,
अक्ल से भेदना हो तो अकील तुम बनो।
विष जो समेटना हो तो सतीश तुम बनो।
सत्य तोलना हो तो जगदीश तुम बनो।
वैश्य बेचे देह तो बुराई होती समाज की,
बदन बेचना हो तो अभिनेत्री तुम बनो।
इंसान ईमान जो बेचता गिरता जहान से,
ईमान बेचना हो तो वेईमान तुम बनो।
ढोंगी और भोगियों ने सदा लूटी अस्मतें,
ढंग से लूटना अस्मत तो योगी तुम बनो।
हर कानून कायदा बना गरीबों के वास्ते,
कानून जो तोड़ना हो तो नेता तुम बनो।
स्वाभिमान किश्तों में बिकता मनसीरत,
जमीर जो बेचना हो तो अमीर तुम बनो।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)