सत्य खोज लिया है जब
जीवन तुम्हारा ,जीना है तुमको,
दुःख तुम्हारे ,हरने है खुद को,
कौन तुमसे बढ़ कर होगा ?
तुमको तुमसे मिलाने के लिए,
तुम्हारा सत्य तुम्हे पाने के लिए,
तुम ही हो वो अंश तुम्ही में,
खोज तुम्हे को करना है,
चाह तुम्हारी राह तुम्हारी,
तप तुम्हे ही करना है,
जप कर लो ज्ञान का तुम,
सत्य जो भी हो पकड़ लो तुम,
लक्ष्य नहीं अब भूलो मानव,
साध निशाना मन तर्कस में अब,
जिन खोजा तिन पाओगे तब,
राह बहुत है तेरे खातिर,
भेंट सही राह से कर लो अब,
नहीं लगेगी देर पाने में,
सफलता मिलेगी सत्य खोज लिया है जब ।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।