सत्य की पूजा होती है
असत्य सत्य का स्थान नहीं ले सकता
असत्य सत्य पर भारी नहीं हो सकता
यह मॉल में कभी भी नहीं मिल सकता
क्यों कि यह प्रदर्शन की वस्तु नहीं है
सत्य रहस्य भी नही हो सकता
सत्य चमत्कार का नाम भी नहीं हैं।
हम हैं, तो सत्य है
सत्य है, तो हम हैं
सत्य गुढ़ है:
हमें उसे उजागर करना है
नेपथ्य से बाहर करना है
जन- साधारण को अवगत कराना है।
यदि बंद घड़े का ढक्कन बंद ही रहे
तो उसे खोलना आवश्यक है
पर्दा हटाकर पर्दाफाश करना आवश्यक है
अन्यथा लोग सोचते रहेंगे, इसमें क्या है?
कब, कहां, क्यों, कैसे, कौन, किधर और
प्रत्यक्ष या परोक्ष आदि टूल्स का सहारा लेना होगा।
सत्य के प्रकाश स्तंभ का न आदि है, न अंत है
वह स्वयंभू है, वह महादेव है
जो झूठ का सहारा लेता है
वह केतकी का फूल होता है
सत्याग्रही, सत्यनारायण होता है
सत्य की पूजा होती है ।
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@स्वरचित और मौलिक -घनश्याम पोद्दार
मुंगेर