सत्य की जय
गीतिका
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पूर्ण विश्व ने देखा, शांत किया विस्मय।
संघर्षों का फल है, हुई सत्य की जय।
राम लला का सुंदर, रूप प्रतिष्ठित है।
बना भव्य नैसर्गिक, मन्दिर आभामय।
मर्यादा पुरुषोत्तम, राम विराज गये।
धन्य अयोध्या नगरी, प्रभु का देवालय।
विश्वास रखें निज पर, कदम नहीं रोकें।
ठानें जो मन अपने, पूर्ण करें निश्चय।
हुए पराजित द्रोही, शत्रु सनातन के।
सब भक्तों ने माना, संतों का निर्णय।
राम काज हितकारी, बढ़ते नर नारी।
सभी साथ जब चलते, मिट जाता है भय।
जाग उठा जब पौरुष, विघ्न हटे सारे।
तमस स्वयं हटता जब, होता सूर्य उदय।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १३/०५/२०२४