सत्य की खोज
शीर्षक – सत्य की खोज
विधा – हिंदी
एक लेख
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सच तो सत्य की खोज हम सभी अपने मन और दृढ़ संकल्प और सोच से कर सकते हैं परंतु सत्य की खोज आज संभव हमारे और आपके सहयोग से हो सकती हैं। भला ही आज हम कहते हैं कलयुग है परंतु एक कड़वा सच यही हैं कि हम सभी जानते हैं सच और झूठ फरेब परंतु हम सभी अपने अपने स्वार्थ और मतलब रखते हैं। सच तो आज सत्य की खोज हम सभी के साथ हमारी शिक्षा व्यवस्था और आर्थिक स्थिति सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। क्योंकि सामाजिक दृष्टिकोण से सत्य की खोज केवल निःस्वार्थ सेवा भाव के साथ हम सभी सत्य की खोज कर सकते हैं। परंतु हमारा अपना जीवन स्वैच्छिक होता हैं और हम सभी अपने जीवन की राह और हकीकत की सोच से हम सत्य की खोज कर र सकते हैं। युग ज़माना भला ही आधुनिक युग है परंतु सत्य की खोज तो हम स्वयं ही हमारी पहचान और सोच है। सत्य की खोज के लिए हम सभी एक सच समझते हैं कि निःस्वार्थ सेवा भाव और विचार के साथ उम्मीद और आशाओं के सपने न हो वह सत्य की खोज कर सकते हैं। लिखने को तो बहुत तर्क दिए जा सकते हैं। परन्तु सत्य की खोज के हमें स्वयं को निश्च्छल और विन्रम सोच के साथ-साथ उम्मीद और आशाओं का सच कहना हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र