*सत्य की आवाज़*
हे तात ! तुम मन के सत्य की आवाज़ सुनो
तुम मन……………….।।
जीवित हों, ना मृतक बनो,
बीतें लम्हे, ना याद करो,
वर्तमान की बात करो।
उद्देश्य ना, राह बदलों
कुछ समझ ना आए
तो प्रभु का ध्यान करो।
हे तात ! तुम मन के सत्य की आवाज़ सुनो
तुम मन……………….।।
आराम नहीं कुछ काम करो ,
जीवन की सादगी को साकार करो
साहस ना खोकर बैठना किसी मोड़ पर
वीरों जैसा इतिहास रचो ।
हे तात ! तुम मन के सत्य की आवाज़ सुनो
तुम मन……………….।।
मी मी ना कर ,शेर ज़ैसी धहाड़ भरो
होगी परीक्षा हर मोड़ पर
ज़िन्दगी की एक नयी शुरूआत करो।
हे तात ! तुम मन के सत्य की आवाज़ सुनो
तुम मन……………….।।
पक्षी जैसे पंख फैलाकर
गिद्द जैसी उड़ान भरो
आवाज़ हों , ना मूक बनो
हर समस्या का समाधान करो
हे तात ! तुम मन के सत्य की आवाज़ सुनो
तुम मन……………….।।
स्वरचित एवं मौलिक – 😇 डॉ० वैशालीवर्मा ✍🏻