सत्य का साथ कभी ना छोड़ें !
सत्य का साथ कभी ना छोड़ें !
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ना जाने दुनिया में कैसे – कैसे लोग हैं !
छोटी – छोटी बातों पर अकुला जाते हैं !
न आगे देखते हैं और न ही पीछे मुड़ते हैं,
बस ऑंखें मूंदकर यूॅं ही बौखला जाते हैं !!
लोग बस खुद की ही सदैव सोचते !
औरों को उनके हाल पर ही छोड़ते !
कोई जिये, मरे इससे उन्हें क्या मतलब ?
खुद में ही वे सारी दुनिया को सदा ढूंढ़़ते !!
लोगों के जीने का कुछ ख़ास पैमाना ना रहा !
नियम पालन कम ज़्यादातर मनमाना ही रहा !
उसूल नहीं रही बस, संपत्ति पे निशाना ही रहा !
छल से कोई हो जाता ख़ास, बाक़ी बेगाना ही रहा !!
ये दुनिया बहुत विषम परिस्थिति से गुजर रही है !
ईमानदार कम और बेईमान ज़्यादा ही दिख रहे हैं !
वे ईमानदार लोगों का जीना दुश्वार भी कर रहे हैं !
बेईमानी के बल पर दुनिया को मुठ्ठी में कर रहे हैं !!
घबराकर आप ईमानदारी के पथ पे चलना ना छोड़ें !
साथ में कुछ बेईमानों से मुकाबला भी करना ना छोड़ें !
कुछ पल हेतु असत्य, सत्य पे अपनी बढ़त बना भी ले,
पर अंतिम विजय पाने तक सत्य का साथ कभी ना छोड़ें !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 25-07-2021.
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