सत्तर भी है तो प्यार की कोई उमर नहीं।
हज़ल😂- 14
सत्तर भी है तो प्यार की कोई उमर नहीं।
पर आपकी तो होती भी सीधी कमर नहीं।
घुटने हुए खराब तो चलने में मुश्किलें,
अब दर्द वाले तेल का होता असर नहीं।
मज़बूर हो के चश्मे ने माफ़ी भी मांग ली,
तुमको दिखाएं रास्ता मुझमें हुनर नहीं।
अब इश्क में तो चाहिए कुछ हुस्न औ’र अदा,
गड्ढे में आंखें, गाल भी पिचके, नज़र नहीं।
अब हार्ट प्राबलम भी है खांसी दमा के सॅंग,
नज़ला जुकाम है ही चलो ब्लड सुगर नहीं।
अच्छे भले इंसान को मिलती न लड़कियां,
शौहर किसी को चाहिए अब खंडहर नहीं।
अब चरमरा गया है ये ढांचा भी प्रेमी जी,
मत बनिए आशाराम तुम्हारी उमर नहीं।
……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी