सताना छोड़ मत देना
हमें मालूम है पर तुम जताना छोड़ मत देना
तुम्हें मुझसे मोहब्बत है बताना छोड़ मत देना
घनी रातों की चादर ओढ़कर जब मैं कभी सोऊं
मुझे ख्वाबों में आकर के सताना छोड़ मत देना
मोहब्बत में जो रूठे हैं वो खुद भी मान जायेंगे
मगर है इल्तिजा फिर भी मनाना छोड़ मत देना
हिला लो डालियाँ कितनी भी इतनी शर्त है लेकिन
गिरी कलियों से तुम नजरें मिलाना छोड़ मत देना
बिखर जायेंगे सब रिश्ते मोहब्बत के बिना ‘संजय’
ये नखरे नाज चाहत में उठाना छोड़ मत देना