सतरंगी रंग
सतरंगी रंग
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सतरंगी रंग बिखरे ज़मीं पर,
तो कुछ बात बने।
मन में कोई महक उतरे,
तो कुछ बात बने।।
चांद उतरा दिन की पेशानी में,
चांदनी सब हो गया।
आज तुम भी एक रात रोको,
तो कुछ बात बने।।
मेरे ख्यालों में तुम आओ,
आकर मुलाकात करो।
आज सनम मिलने चले आओ,
तो कुछ बात बने।।
आंसुओ में बह गया,
सैलाब समुंदर का।
आकर के कोई रोके ,
तो कुछ बात बने।।
अपनी पीड़ा के शूल,
चुभतें हैं सीने में।
कोई दिल का फूल खिला दें,
तो कुछ बात बने।।
सुषमा सिंह*उर्मि,,