सजा
सजा
भारत में
पुलिस द्वारा
कर्मठ, मेहनतकश श्रमिक को
साधनहीन, वंचित होने की
दी जाती है सजा
भांझी जाती हैं लाठियां
निकम्मे, भ्रष्ट
नेता, मठाधीश व
हाई-प्रोफ़ाइल घरानों के
परजीवी किस्म के
धरती के बोझों के समक्ष
वही पुलिस-कर्मी
होते हैं नतमस्तक
भाग-भाग कर
उनकी गाड़ियों की
खोलते हैं खिड़कियां
उनकी आगवानी में
भूखे-प्यासे रह कर
रहते हैं तैनात
ये दोहरी व्यवस्था
कब तक
और क्यों?
-विनोद सिल्ला©