” सजा़वार “
भरोसा कर उसकी बातों पर, हम गुनाहगार हो गये।
बदली उसने अपनी फितरत, हम खतावार हो गये।
यूं तो समयानुसार कई शक्लें हैं उसके किरदारों की,
उसकी कमियां छिपाकर, हम ही सजा़वार हो गये।
-शशि “मंजुलाहृदय”
भरोसा कर उसकी बातों पर, हम गुनाहगार हो गये।
बदली उसने अपनी फितरत, हम खतावार हो गये।
यूं तो समयानुसार कई शक्लें हैं उसके किरदारों की,
उसकी कमियां छिपाकर, हम ही सजा़वार हो गये।
-शशि “मंजुलाहृदय”