सज़ा
कुछ आईने में ठहरे, पर कुछ बेजा मिले
कितने हुए रकीब कितने ख़ुदा मिले ।
मैंने रास्तों की धूल को किरचियों जाना है
गुलज़ार है हयात जाने कब खिज़ा मिले ।
हाथ मेरे और तुम समंदर की रेत मानिंद
तुझमें डूब जाने का कुछ तो मज़ा मिले ।
बनके ख़ुशबू लिपट जाए जो जिस्म से
अनदेखी, अनजानी ऐसी फिज़ा मिले ।
इंतज़ार की चौखट उठाए चल रहा हूँ
तेरे नाम की तख्ती लगा दूँ जो रज़ा मिले ।
नमी ने कर दिया इंकार तकिया भिगोने से
तेरा दिल दुखाने की मुझे कुछ तो सज़ा मिले ।
#Shally Vij