Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 1 min read

सज़ा

कुछ आईने में ठहरे, पर कुछ बेजा मिले
कितने हुए रकीब कितने ख़ुदा मिले ।

मैंने रास्तों की धूल को किरचियों जाना है
गुलज़ार है हयात जाने कब खिज़ा मिले ।

हाथ मेरे और तुम समंदर की रेत मानिंद
तुझमें डूब जाने का कुछ तो मज़ा मिले ।

बनके ख़ुशबू लिपट जाए जो जिस्म से
अनदेखी, अनजानी ऐसी फिज़ा मिले ।

इंतज़ार की चौखट उठाए चल रहा हूँ
तेरे नाम की तख्ती लगा दूँ जो रज़ा मिले ।

नमी ने कर दिया इंकार तकिया भिगोने से
तेरा दिल दुखाने की मुझे कुछ तो सज़ा मिले ।
#Shally Vij

Language: Hindi
62 Views
Books from Shally Vij
View all

You may also like these posts

आखिर कैसे
आखिर कैसे
NAVNEET SINGH
“लिखने से कतराने लगा हूँ”
“लिखने से कतराने लगा हूँ”
DrLakshman Jha Parimal
जिस दिल में ईमान नहीं है,
जिस दिल में ईमान नहीं है,
पंकज परिंदा
धमकियाँ देना काम है उनका,
धमकियाँ देना काम है उनका,
Dr. Man Mohan Krishna
धार्मिक स्थलों के झगडे, अदालतों में चल रहे है. इसका मतलब इन
धार्मिक स्थलों के झगडे, अदालतों में चल रहे है. इसका मतलब इन
jogendar Singh
प्रेम चेतना सूक्ष्म की,
प्रेम चेतना सूक्ष्म की,
sushil sarna
कोई त्योहार कहता है कोई हुड़दंग समझता है
कोई त्योहार कहता है कोई हुड़दंग समझता है
Kanchan Gupta
माँ मैथिली आओर विश्वक प्राण मैथिली --- रामइकबाल सिंह 'राकेश'
माँ मैथिली आओर विश्वक प्राण मैथिली --- रामइकबाल सिंह 'राकेश'
श्रीहर्ष आचार्य
जीवन में जागरूकता कैसे लाएँ। - रविकेश झा
जीवन में जागरूकता कैसे लाएँ। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
#बात_बेबात-
#बात_बेबात-
*प्रणय*
it is not about having a bunch of friends
it is not about having a bunch of friends
पूर्वार्थ
अब तुझे रोने न दूँगा।
अब तुझे रोने न दूँगा।
Anil Mishra Prahari
जब अकेला निकल गया मैं दुनियादारी देखने,
जब अकेला निकल गया मैं दुनियादारी देखने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
देखा है
देखा है
RAMESH Kumar
आभ बसंती...!!!
आभ बसंती...!!!
Neelam Sharma
जातीय गणना।
जातीय गणना।
Acharya Rama Nand Mandal
कलम की दुनिया
कलम की दुनिया
Dr. Vaishali Verma
" कातिल "
Dr. Kishan tandon kranti
एक चिड़िया
एक चिड़िया
Uttirna Dhar
मेरी खामोशी का
मेरी खामोशी का
Nitu Sah
कल रात
कल रात
हिमांशु Kulshrestha
भावो का भूखा
भावो का भूखा
ललकार भारद्वाज
नाजुक देह में ज्वाला पनपे
नाजुक देह में ज्वाला पनपे
डॉ. दीपक बवेजा
संवेदनाएँ
संवेदनाएँ
Meera Thakur
हम तुम और बारिश की छमछम
हम तुम और बारिश की छमछम
Mamta Rani
वसीयत
वसीयत
MEENU SHARMA
वतन
वतन
Ashwini sharma
3452🌷 *पूर्णिका* 🌷
3452🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
ख्वाहिशों की ना तमन्ना कर
ख्वाहिशों की ना तमन्ना कर
Harminder Kaur
वो इँसा...
वो इँसा...
'अशांत' शेखर
Loading...