सजर्न उत्सर्जन विसर्जन पर दोहे
आज के शब्द संपदा पर दोहे
★★★★★★★★★★★
सर्जन
भगवन बन सर्जन करे,
पाकर शल्य विधान।
हरपल जन सेवा करे,
धरती का भगवान।।
उत्सर्जन
उत्सर्जन का कर्म ही,
करे जगत उजियार।
द्वेष-कपट को त्यागकर,
जन-जन में हो प्यार।।
विसर्जन
करो विसर्जन लोभ का,
मन में धरकर धीर।
तब देखो संसार की,
बदलेगी तस्वीर।।
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रचनाकार- डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822