सजन ना आए
विधा- गीतिका
आधार छन्द-राधिका (22 मात्रा ,मापनी युक्त, मात्रिक)
विधान-13-9 पर यति, त्रिकल-यति-त्रिकल अनिवार्य। समान्त-आए,अपदान्त।
********************************************
अब सावन बीता जाय, सजन ना आये।
भेजत नाहीं संदेश, हृदय घबड़ाये।
कछु भी कहते ना साफ, सजन निर्मोही,
परसो तरसो में हाय, मुझे उलझाये।
कजरी का सुमधुर राग, हृदय को खटके,
झूला तरुवर पर डाल, सखी सब गाये।
बिरहन रोती दिन-रात, मिले ना चैना,
अब कहो हृदय का घाव, किसे दिखलाये।
साजन बेदर्दी ‘सूर्य’, नहीं सुधि लेता,
गम के सब काले मेघ, हृदय पर छाये।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464