सजन आज हमारे सुहाने
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रदीफ़ :- सुहाने*काफ़िया :- रे
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** सजन आज सुहाने हमारे **
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खिलाए बहारें पुष्प सारे सुहाने,
महकते दिखें फूल प्यारे सुहाने।
निशा चाँदनी चाँद से हो गई है,
गगन में चमकते हैं तारे सुहाने।
हवा के झरोखे चलाए यहाँ पर,
लगे बरसते ये शरारे सुहाने।
महकती रहे रात रानी चमन में,
यहाँ बज रहे गीत न्यारे सुहाने।
जहां की मिली खुशियाँ हमें है,
खुशी के तराने हमारे सुहाने।
खुदा की यहाँ खूब कृपा हुई है,
लगे प्रभु के है हुलारे सुहाने।
हुए मन से सीरत लगे तीर सारे,
सजन हो गए हैं हमारे सुहाने।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)