सच
मैंने कम देखा है
लोगों को
सच को सच कहते
अपनी कमियों को स्वीकारते
खुद को खुद की तरह
ज़ाहिर करते
ज़माने के साथ
चलने की होड़ में
खुद को झूठ का लबादा उढ़ाते
मैं महसूस करती हूँ
सच थोड़ा खुरदरा ज़रूर है
पर सुकून देता है
एक खूबसूरत झूठ से कहीं ज़्यादा