– सच में
मन की गहराई में देखा,
तन की सच्चाई में देखा,
ह्रदय की ईमानदारी को देखा,
अपनी ही आंखों में झांककर देखा,
सब जगह देखकर…..
अपने नयन के नीर को पोंछा,
सच में हम सच थे!!
इस राह में…
कांटे भी चुभे,
कलियां भी खिली,
चेतना भी बंधी,
हारे नहीं है,
टूटे नहीं है,
हिम्मत रख आगे बढ़ी,
अपनी चाह की उड़ान भरी,
ना ही किसी से डरी,
होंसले बुलन्द रखें,
सच को करीब से देखा,
अब गिड़गिड़ाने की बेला गई,
मंजिल को छूने की
मन में उमंग बढ़ीं,
ह्रदय को बल मिला,
घ्येय वो ही था मेरा,
संघर्ष बहुत था, लेकिन!!!
सच में हम सच थे!!
– सीमा गुप्ता