काल के काल से – रक्षक हों महाकाल
सच में – असुर स्वरभानु ने
रूप देव का क्या बदला
एक बूँद अमृत का पा के
बस अमर ही हो गया
कट के दो भाग में जैसे
दुगना हो गया बल उसका
छाया स्वरूप उनका
साये सा साथ है रहता
हर जनम हर सदी में
हर सदी लीलता है
जीवन काले साये में
अपने इस सदी में भी
फिर त्रासदी वही है
इस काल के काल से
महाकाल ही हों रक्षक