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21 May 2021 · 1 min read

सच मिले…

सच मिले …

मैं हर पल इधर उधर
न जाने किधर किधर
ढूँढती रही आठों पहर
सच मिले चुटकी भर

कभी उसकी बातों में
बेवजह मुलाक़ातों में
संग गुज़ारी रातों में
मोहब्बत के खातों में

कहे अनकहे वादों में
भूली बिसरी यादों में
कच्चे पक्के इरादों में
बिन माँगी मुरादों में

वफ़ा वाली राहों में
आग़ोश भरती बाहों में
इश्क़ के पनाहों में
जुदाई की आहों में

पर सच कहीं न मिला
मिलता भी कैसे भला
सच पर लगा ताला
मैंने चाभी दी थी भुला

रेखांकन I रेखा

Language: Hindi
3 Comments · 313 Views

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