सच का सच
सच में सच खोजना कठिन नहीं है ,
कठिन है तो,
सच पचा जाना,
उसमें रम जाना,
रात – दिन।
विचार – व्यवहार,
सच हैं तो भी,
निभाए कौन सच्चाई से?
आहार – विहार,
सच हैं परंतु,
अपनाए कौन तत्परता से?
किसी ने सच कहां खोजा?
व्यवसाय निभाती आहोें में!
सुंदरता को निहार कौन रहा है?
अपनी चर्मचक्षु निरुद्ध कर,
गुफाओं में ?
ऊंचे पहाड़ ,
विस्तृत नभ,
गहरा अर्णव,
गहन अरण्य,
ये हैं सच प्राकृतिक कृति।
भूखा – निर्धन,
अभाव में लाचार!
औषध बिना,
त्यागता प्राण चेतन!
यह है सच अटल !!
इसे पिरोता कौन है ?
अपने आडंबर कविता – निस्सार में?
क्योंकि
सच में सच खोजना कठिन नहीं है ,
कठिन है तो,
सच पचा जाना,
उसमें रम जाना,
रात – दिन।
## समाप्त