सच कहूं तो
झूठ कहूं की सच कहूं
या रहुं सदा मैं मौन।
झूठ लबार तो बहुत है
सत्य बखाने है कौन ।।
चुप सरीखा सा सुख नही
सदा रहूं मैं मौन।
सच कहूं तो मारन बन जाऊं
फिर बचाये कौन।।
मौन रहन तो नामर्दी है
झूठ बोलन में पाप।
सच कहूं तो जग भला
सच है जग में सार।।
मन वकील लालच बला
सदा बोलावे झूठ।
तन बैरी तो अपराध करे
चोरी डकैती लुट।।
आत्म देव तो न्यायाधीश हैं
सत्य बतावे राह।
सच कहूं तो है जग भला
मारन का न परवाह।।
डॉ विजय कुमार कन्नौजे आरंग रायपुर छत्तीसगढ़