#कुंडलिया//जैसे को तैसा
होता सरिस कुबेर धन , सच्चा मन का मित्र।
जीवन भरे सुगंध से , डाला जैसे इत्र।।
डाला जैसे इत्र , काम संकट में आए।
धन्य वही है एक , मित्र जो ऐसा पाए।
सुन प्रीतम की बात , बीज जो जैसा बोता।
लाख टके की बात , सदा फल वैसा होता।
आने सौलह सच यही , बोलूँ कभी न झूठ।
आँधी में वो ही गिरे , अकड़ा तरु जो ठूँठ।।
अकड़ा तरु जो ठूँठ , रखो खुद को तुम शीतल।
सोना-सोना देख , रहेगा पीतल-पीतल।
सुन प्रीतम की बात , कभी मत देना ताने।
जैसे करिए कर्म , वही आगे तो आने।
#आर.एस.प्रीतम
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