सच्ची घटना का काव्यमय प्रस्तुति
किसी किसी इंसान की कैसी होती है तकदीर ?
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किसी किसी इंसान की कैसी होती है तकदीर ?
कभीकभी भगवान भी निर्मम हो जाता बेपीर।।
दो बेटी एक बेटा पत्नी पति का था परिवार ,
सब खुशियाँ उनके घर में थीं सुखमय था संसार ।
आठ माह का बेटा था सुन्दर सुघड़ सलोना,
क्रूर काल के कारण होगया होना था जो होना ।।
बेटा बेटी पति पत्नी से घर थी खुशहाली।
बड़ा प्यार था पति पत्नी में मन में थी हरियाली ।।
एक दिन शैर सपाटे को निकले पति पत्नी और बेटा ।
मासूम से बेटे और पति का बड़ा भाग्य था हेटा ।।
अचानक एक्सीडेंट हुआ और पत्नी स्वर्ग सिधारी
क्रूर काल ने क्रूर भाग्य पर क्रूरतम ठोकर मारी ।।
पति असहाय बिलख रहा था न बेटे को खरोंच तक आयी ।
क्रूर काल की क्रूरतम ठोकर ह्रदय में गयी समायी।।
शोकाकुल परिवार हुआ भाग्य फूट गया पति का ।
तिनका तिनका वना घोंसला टूट गया था पति का ।।
आठ माह के कौमल शिशु का कौन था पालनहारा ।
पति की छोटी बहिन अलावा नहीं था कोई सहारा
हाय हाय पशु पक्षी करि रहे तरु भी अकुलाय रहे थे ।
अश्रुपात करके तरु मानो पत्ते गिराइ रहे थे ।।
मृगों के शावक शोक में उगल रहे थे निवाला।
पति बेटे के क्रूर भाग्य का कोई न था रखवाला ।।
बहिन जब दूध पिलाती माँ की याद आ जाती ।
पाषाण भी पिघलने लगता फट जाती बज्र की छाती ।।
मोरों ने नाचना छोड़ दिया धेनुओं ने पानी पीना ।
कोयल ने कूकना छोड़ दिया पशुओं ने जैसे जीना ।।
शोक भी शोकाकुल सा हुआ जैसे अश्रुपात हो रहा हो ।
करुणा भी कराह उठी जैसे वार वार रो रहा हो ।। माँ की याद करके शिशु रोता जाता चुप न कराया ।
माँ को इधर उधर देखता फिर भी कहीं न पाया ।
परिवार पडौसी सब थे बिलखते शिशु की कैसी ये तकदीर ।
समझाने से ह्रदय न समझे धरे न मन ये धीर ।।
ऐसा निर्मम भाग्य लिखे न खुदा कभी किसी का।
सभी प्रसन्न सुखी सब होवें होवे भला सभी का ।।
बिशेष:-सच्ची घटना पर आधारित