*सच्चा मित्र*
माना सुदामा की तरह लाचार हूँ मैं
काश कोई कृष्ण मेरी ज़िंदगी में भी होता
मेरे ग़लत होने पर भी मेरा साथ देता
काश! कर्ण सा मित्र मेरा भी होता
निकाल देता मुझे भी मुसीबतों से
काश कोई हनुमान मेरे पास भी होता
सुना देता कभी मुझे गीता का पाठ
काश इस युद्ध में कृष्ण सा सारथी मेरा भी होता
रोक देता सारे चीर हरण
काश हर द्रौपदी का सखा कृष्ण होता
किसी के साथ अन्याय न होने देता
काश! हर सुग्रीव के पास राम सा मित्र होता
काश भाग्य अब मेरे भी खुल जाए
एक सच्चा मित्र मुझे भी मिल जाए
खुश होने पर वरदान देता है ईश्वर
मुझे तो बस एक सच्चा मित्र दे जाए
मित्र तो मित्र होता है, सतयुग
और कलयुग के मित्र में कोई फर्क नहीं होता
मिलता है सच्चा मित्र सिर्फ भाग्यवान को
ऐसा नहीं है कलयुग में सच्चा मित्र नहीं होता
लेकिन है मुश्किल कलयुग में मिलना
काश! एक सच्चा दोस्त मेरा भी होता
होती मेरी जो भी उलझन कोई
बताकर उसे सब मेरा मन हल्का तो होता।